Vijayakanth’s Legacy: तमिल राजनीति में ‘कैप्टन’ की विरासत पर खींचतान

Vijayakanth’s Legacy: तमिल राजनीति में ‘कैप्टन’ की विरासत पर खींचतान

प्रस्तावना

Vijayakanth’s Legacy आज तमिल राजनीति का सबसे अहम मुद्दा है। अभिनेता से नेता बने “कैप्टन” विजयकांत ने अपने करियर में जितनी लोकप्रियता हासिल की, उतनी ही चुनौतियाँ भी झेलीं। उनके निधन के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर उनकी राजनीतिक और सामाजिक विरासत कौन आगे ले जाएगा।

तमिलनाडु की राजनीति लंबे समय से दो दलों—डीएमके (DMK) और एआईएडीएमके (AIADMK)—के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन जब Vijayakanth’s Legacy की बात होती है, तो साफ़ है कि उनके समर्थक अब भी मानते हैं कि उनकी पार्टी DMDK एक तीसरा विकल्प बन सकती है। सवाल यही है कि इस विरासत का उत्तराधिकारी कौन होगा—परिवार या पार्टी के वरिष्ठ नेता?

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Vijayakanth’s Legacy: एक झलक

तमिल फ़िल्मों के सुपरस्टार विजयकांत का जन्म 25 अगस्त 1952 को मदुरै में हुआ। फ़िल्मों में “कैप्टन” के नाम से मशहूर विजयकांत ने लगभग 150 से अधिक फ़िल्मों में काम किया और लोगों के दिलों पर राज किया।

2005 में उन्होंने राजनीति में कदम रखते हुए अपनी पार्टी DMDK (Desiya Murpokku Dravida Kazhagam) की स्थापना की। यहीं से Vijayakanth’s Legacy की शुरुआत हुई, जो आज भी चर्चा का केंद्र है।

Vijayakanth’s Legacy और DMDK का उदय

जब 2006 विधानसभा चुनाव में DMDK ने हिस्सा लिया, तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि पार्टी इतनी जल्दी असर डालेगी। लेकिन Vijayakanth’s Legacy का जादू ऐसा चला कि अकेले चुनाव लड़कर पार्टी ने 8% वोट शेयर हासिल किया।

2011 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने AIADMK के साथ गठबंधन किया और 29 सीटों पर जीत दर्ज की। यह उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक सफलता थी और यहीं से उनकी विरासत मजबूत हुई।

Vijayakanth’s Legacy और जनता का जुड़ाव

Vijayakanth’s Legacy का असली कारण उनकी जनता से गहरी जुड़ाव थी। वे अक्सर किसानों, गरीबों और मध्यम वर्गीय लोगों की समस्याओं पर खुलकर बोलते थे। उनकी ईमानदार छवि ने उन्हें आम जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया।

उनके समर्थक कहते हैं कि विजयकांत सिर्फ़ नेता नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ थे। यही वजह है कि आज जब उनकी विरासत पर सवाल खड़े हो रहे हैं, तो जनता भी चिंतित है कि Vijayakanth’s Legacy किस दिशा में जाएगी।


बीमारी और Vijayakanth’s Legacy पर असर

पिछले कई वर्षों से विजयकांत गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। उनका सार्वजनिक जीवन लगभग ख़त्म हो गया था। उनकी गैरमौजूदगी में DMDK धीरे-धीरे कमजोर होने लगी।

यहीं से सवाल उठा कि Vijayakanth’s Legacy को कौन संभालेगा। पार्टी के भीतर मतभेद बढ़ने लगे और परिवार बनाम वरिष्ठ नेताओं की खींचतान खुलकर सामने आने लगी।

ijayakanth’s Legacy पर दावेदार

1. परिवार

विजयकांत की पत्नी प्रेमलता और बेटे विजयप्रभु पार्टी की कमान संभालने के दावेदार हैं। उनका मानना है कि पार्टी संस्थापक की विरासत को परिवार ही आगे बढ़ा सकता है।

2. वरिष्ठ नेता

DMDK के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि केवल परिवार पर निर्भर रहने से पार्टी मज़बूत नहीं होगी। उनका मानना है कि कोई अनुभवी और राजनीतिक रूप से सक्रिय चेहरा ही Vijayakanth’s Legacy को आगे बढ़ा सकता है।

3. अन्य दल

DMK और AIADMK जैसी बड़ी पार्टियाँ भी चाहती हैं कि विजयकांत का वोट बैंक उनकी ओर आए। इसीलिए दोनों दल DMDK पर नज़र गड़ाए हुए हैं।

Vijayakanth’s Legacy और चुनावी समीकरण

तमिलनाडु में हर चुनाव से पहले यह चर्चा होती है कि DMDK किसके साथ गठबंधन करेगी।

  • 2006 में अकेले चुनाव लड़कर 8% वोट हासिल किए।

  • 2011 में AIADMK गठबंधन में बड़ी सफलता पाई।

  • 2016 और 2021 में पार्टी कमजोर रही।

इन आँकड़ों से साफ़ है कि Vijayakanth’s Legacy ने राजनीति को झकझोरा जरूर है, लेकिन पार्टी को मजबूत बनाए रखने के लिए नया नेतृत्व ज़रूरी है।

Vijayakanth’s Legacy और जनता की भावनाएँ

तमिल जनता आज भी विजयकांत को “कैप्टन” कहकर याद करती है। लोग उन्हें ईमानदार, सरल और जनता का सच्चा नेता मानते हैं। उनकी विरासत सिर्फ़ राजनीतिक नहीं बल्कि भावनात्मक भी है।

जनता का कहना है कि Vijayakanth’s Legacy को अगर सही दिशा नहीं दी गई, तो यह तमिल राजनीति का एक अधूरा अध्याय बनकर रह जाएगा।

Vijayakanth’s Legacy का भविष्य

  1. अगर परिवार और पार्टी के बीच तालमेल बनता है, तो DMDK फिर से मज़बूत हो सकती है।

  2. अगर आपसी कलह जारी रही, तो पार्टी का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

  3. आने वाले चुनावों में यह तय होगा कि Vijayakanth’s Legacy किसे मजबूती देगी—DMDK को या किसी बड़े दल को।

Vijayakanth’s Legacy और सिनेमा का प्रभाव

तमिलनाडु की राजनीति में सिनेमा हमेशा अहम रहा है। एमजीआर, जयललिता, करुणानिधि—सभी ने सिनेमा से राजनीति की राह बनाई। विजयकांत भी उसी परंपरा के वारिस रहे।

उनकी फ़िल्मी लोकप्रियता ने Vijayakanth’s Legacy को और मज़बूत बनाया। आज भी उनके प्रशंसक मानते हैं कि अगर पार्टी सही नेतृत्व पाती है, तो वह बड़ा उलटफेर कर सकती है।

निष्कर्ष

Vijayakanth’s Legacy सिर्फ़ एक राजनीतिक सवाल नहीं, बल्कि तमिल जनता की भावनाओं से जुड़ा हुआ मुद्दा है। कैप्टन विजयकांत ने अपने जीवन में जो छवि बनाई, वह जनता के दिलों में आज भी ज़िंदा है।

अब सवाल यह है कि उनकी विरासत का असली उत्तराधिकारी कौन बनेगा—परिवार, पार्टी या फिर कोई गठबंधन? आने वाले दिनों में यही तय करेगा कि तमिल राजनीति में Vijayakanth’s Legacy किस रूप में सामने आती है।






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