वेदा कृष्णमूर्ति ने क्रिकेट का हर खेल छोड़ दिया: शानदार करियर की समाप्ति
25 जुलाई 2025 को वेदा कृष्णमूर्ति, भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सबसे सफल बल्लेबाजों में से एक, ने सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की। 32 वर्षीय मध्यक्रम बल्लेबाज, जो अपनी आक्रामक बल्लेबाजी और शानदार फील्डिंग के लिए जानी जाती है, ने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक पोस्ट के जरिए अपने 11 साल के उत्कृष्ट करियर को समाप्त कर दिया। कडूर नामक छोटे से शहर की एक लड़की, जो बहुत बड़े सपने रखती थी। वेदा ने लिखा कि कर्नाटक की शांत गलियों से भारतीय जर्सी पहनने तक की अपनी यात्रा यहीं से शुरू हुई थी।
आंकड़ों में शानदार करियर
वेदा कृष्णमूर्ति ने 2011 में 18 साल की उम्र में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे में डेब्यू किया, जिसमें उन्होंने पहली ही पारी में 51 रन बनाकर धूम मचा दी। उन्होंने अपने करियर में 48 वनडे में 829 रन बनाए, आठ अर्धशतक लगाकर 25.90 की औसत से। उन्होंने टी20 में 76 मैच खेले और दो अर्धशतकों के साथ 875 रन बनाए। 2017 महिला विश्व कप और 2020 टी20 विश्व कप में, जहां भारत उपविजेता रहा, उनकी आक्रामक बल्लेबाजी ने उन्हें भारत की मध्यक्रम की रीढ़ बनाया। वेदा कृष्णमूर्ति ने क्रिकेट का हर खेल छोड़ दिया
2017 विश्व कप के सेमीफाइनल में उनकी 45 गेंदों में 70 रनों की पारी ने भारत को फाइनल में पहुंचाया था। यह पारी उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी और भारतीय महिला क्रिकेट को नई उंचाइयों तक ले जाने में उनकी योगदान को भी दिखाती थी। वेदा को भी फील्डिंग में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। वह महिला टी20 में नॉन-विकेटकीपर के तौर पर सबसे अधिक 58 कैच लेने वाली खिलाड़ी हैं। वेदा कृष्णमूर्ति ने क्रिकेट का हर खेल छोड़ दिया
नेतृत्व और घरेलू योगदान
वेदा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा घरेलू क्रिकेट पर भी प्रभाव डाला। वह कर्नाटक और रेलवे को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानती है। उन्होंने कहा, “कर्नाटक और रेलवे की कप्तानी करना मेरे लिए हमेशा गर्व की बात रहेगी।” 2023 में, उन्होंने गुजरात जायंट्स के लिए महिला प्रीमियर लीग (WPL) में चार मैच खेले और 22 रन बनाए। 2017-18 में वह होबार्ट हरिकेंस के लिए विमेंस बिग बैश लीग (WBBL) में खेली और नौ मैचों में 144 रन बनाए।
मुश्किलों से भरा सफर
वेदा की यात्रा सिर्फ रनों और कैचों से नहीं हुई थी; यह साहस और लचीलापन की कहानी है। उन्होंने कोरोनावायरस महामारी के दौरान अपनी मां चेलुवमबा देवी और बहन वत्सला शिवकुमार को खो दिया। वेदा ने इन व्यक्तिगत दुःखों के बावजूद हार नहीं मानी और प्रशंसकों और साथियों को प्रेरणा दी। वेदा, जो पूर्व कर्नाटक क्रिकेटर अर्जुन होयसला से शादी कर चुकी है, ने हर जगह अपनी शक्ति दिखाई।
मैदान के बाहर विरासत
2017 महिला विश्व कप भारतीय महिला क्रिकेट के लिए टर्निंग पॉइंट था और वेदा इसका केंद्र थीं। 2017 साल बहुत अच्छा था। उन्होंने लिखा, “उस विश्व कप का हिस्सा होना मुझे हमेशा गर्व रहेगा, जिसने भारत में महिला क्रिकेट को देखने का नजरिया बदल दिया।” उनकी भूमिका ने अगली पीढ़ी के क्रिकेटरों को प्रेरित किया। बीसीसीआई महिला टीम और प्रशंसकों ने एक्स पर पोस्ट्स में उनकी “जुझारूपन, शालीनता और गौरव” की तारीफ की, साथ ही उनके 124 अंतरराष्ट्रीय मैचों को भारत की 11वीं सबसे ज्यादा कैप वाली महिला खिलाड़ी के रूप में सराहा।
वेदा का अगला कदम
वेदा ने बल्ला टांग दिया है, लेकिन उनका क्रिकेट प्रेम टूटने वाला नहीं है। आज मैं खेलने को छोड़ देता हूँ, लेकिन खेल नहीं। भारत को हर समय हमेशा टीम के लिए।” वह कोचिंग, कमेंट्री या मार्गदर्शन करना चाहती है। वेदा ने पहले ही कन्नड़ और अंग्रेजी में WPL और भारत के मैचों में कमेंट्री की है। उसकी भावुक विदाई में उन्होंने उन सभी को, जिन्हें वह क्रिकेट में अपने परिवार की तरह मानती है—कोचों, फिजियोओं, चयनकर्ताओं और प्रशंसकों का शुक्रिया अदा किया।
एक स्थायी प्रभाव
वेदा कृष्णमूर्ति ने क्रिकेट का हर खेल छोड़ दिया वेदा कृष्णमूर्ति की विरासत हमेशा रहेगी, भले ही उनका निर्माण युगों से हुआ है। एक छोटे शहर की लड़की से राष्ट्रीय आइकन तक, उन्होंने दिखाया कि मेहनत और जुनून से हर बाधा पार की जा सकती है। वह अपनी “दूसरी पारी” में क्रिकेट को और अधिक विकसित करने के लिए तैयार हैं। उनकी कहानी बताती है कि क्रिकेट एक साहस, पहचान और गर्व की यात्रा है, न कि सिर्फ एक खेल।
स्त्रोत: क्रिकबज, स्पोर्ट्सस्टार, Times of India
