हरियाणा में HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट फिर गहराया, सरकार का नया नोटिफिकेशन जारी

हरियाणा में HKRN

हरियाणा में एक बार फिर HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट गहरा गया है। सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए नोटिफिकेशन ने हज़ारों कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। पहले भी कई बार यह मामला चर्चा में रहा है और अब फिर से यह मुद्दा सामने आया है। सवाल उठता है कि आखिर हरियाणा सरकार इन कर्मचारियों के भविष्य को लेकर कब तक अनिश्चितता बनाए रखेगी।

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हरियाणा में HKRN

HKRN क्या है?

HKRN (Haryana Kaushal Rozgar Nigam) हरियाणा सरकार की एक पहल है जिसके तहत विभिन्न विभागों में कॉन्ट्रैक्ट और अस्थायी कर्मचारियों की भर्ती की जाती है।
इस योजना का उद्देश्य था कि बिना बिचौलियों और ठेकेदारी सिस्टम के पारदर्शी तरीके से युवाओं को रोजगार दिया जाए।

लेकिन अब लगातार यह खबरें आ रही हैं कि HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट गहराता जा रहा है क्योंकि सरकार स्थायी समाधान की जगह सिर्फ अस्थायी कदम उठा रही है।

हालिया नोटिफिकेशन और कर्मचारियों की चिंता

हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक नया नोटिफिकेशन जारी किया है जिसमें कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की सेवा अवधि और उनके भविष्य को लेकर कई बदलाव किए गए हैं।
इससे HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट और बढ़ गया है।

कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें स्थायी नौकरी का भरोसा दिलाया गया था, लेकिन अब बार-बार नोटिफिकेशन जारी करके उनके भविष्य को अनिश्चित बना दिया गया है।


https://youtu.be/0F3RV7I9Fqw?si=YNPc-wyCHVTkdYaP

कर्मचारियों की स्थिति

आज हरियाणा के हज़ारों युवा HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट से जूझ रहे हैं।

  • कई विभागों में 2 से 3 साल से काम कर रहे कर्मचारी अब भी अस्थायी स्थिति में हैं।

  • नौकरी की सुरक्षा न होने से कर्मचारी आर्थिक और मानसिक तनाव में हैं।

  • परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि कभी भी नौकरी जाने का डर बना रहता है।

कर्मचारियों की माँग

कर्मचारियों ने सरकार से कई बार अपील की है कि:

  1. उनकी नौकरी को स्थायी किया जाए।

  2. उन्हें पेंशन और अन्य लाभ दिए जाएँ।

  3. बार-बार नोटिफिकेशन जारी कर अनिश्चितता न फैलाई जाए।

लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यही वजह है कि HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट एक बड़ा सामाजिक मुद्दा बन गया है।

सरकार का पक्ष

हरियाणा सरकार का कहना है कि HKRN की व्यवस्था रोजगार देने के लिए शुरू की गई थी और यह व्यवस्था आगे भी जारी रहेगी।
लेकिन सरकार यह भी कहती है कि स्थायी नौकरी देना संभव नहीं है क्योंकि इससे आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

यानी सरकार के लिए यह एक संतुलन का सवाल है – एक तरफ़ रोजगार देना और दूसरी तरफ़ वित्तीय बोझ संभालना।
लेकिन सवाल यह है कि आखिर इस बीच कर्मचारियों का क्या होगा?

विपक्ष की प्रतिक्रिया

हरियाणा में विपक्षी पार्टियाँ लगातार सरकार पर हमला कर रही हैं। उनका आरोप है कि सरकार युवाओं से वादे करके उन्हें ठगा रही है।
विपक्ष का कहना है कि

  • चुनाव से पहले नौकरी देने का वादा किया गया,

  • लेकिन अब नोटिफिकेशन के ज़रिए कर्मचारियों की नौकरी पर संकट डाला जा रहा है।

इससे साफ है कि HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट अब राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है।

समाज पर असर

हरियाणा में बड़ी संख्या में युवा HKRN के ज़रिए नौकरी कर रहे हैं।
अगर उनकी नौकरी पर संकट मंडराता है तो यह न सिर्फ कर्मचारियों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है।

  • बेरोजगारी की समस्या और बढ़ेगी।

  • युवाओं का विश्वास सरकार से उठ जाएगा।

  • सामाजिक असंतोष फैल सकता है।

कर्मचारियों की आवाज़

कई कर्मचारियों ने मीडिया को बताया कि

  • वे रोज़ाना डर में जी रहे हैं कि कहीं नौकरी न चली जाए।

  • सरकार ने स्थायी रोजगार देने का वादा किया था लेकिन आज तक सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट पर रखा है।

  • वे दिन-रात काम करते हैं लेकिन उनका भविष्य अंधेरे में है।

यह साफ दिखाता है कि HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट एक मानवीय मुद्दा भी है, जिसे सिर्फ आंकड़ों से नहीं समझा जा सकता।

आगे का रास्ता

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को चाहिए कि वह

  1. कर्मचारियों को स्थायी करने की ठोस योजना लाए।

  2. अगर स्थायी नहीं कर सकती तो कम से कम नौकरी की सुरक्षा की गारंटी दे।

  3. पेंशन और अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराए।

अगर ऐसा नहीं हुआ तो HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट और गहराएगा और इसका असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ेगा।


निष्कर्ष

हरियाणा में HKRN कर्मचारियों की नौकरी संकट अब सिर्फ रोजगार का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक चुनौती भी बन गया है।
सरकार को चाहिए कि वह कर्मचारियों की चिंता को गंभीरता से ले और स्थायी समाधान की ओर कदम बढ़ाए।
क्योंकि अगर युवाओं का भविष्य सुरक्षित नहीं होगा तो किसी भी राज्य का विकास संभव नहीं है।




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